गयारह अंग और १४ पूर्व
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ग्यारह अंग और १४ पूर्व





आचारांग,
सूत्रकृतांग,
स्थानांग,,
समवायांग,
व्याख्याप्रज्ञप्ति
ज्ञातृकथांग ,
उपासकाध्यायनांग,
अं तःकृतदशांग,
अनुत्रोत्पादकदशांग,
प्रश्न - व्याकरणाँग
और विपाकसूत्रांग
ये ११ अंग है|
इनके पाठी उपाधयाय परमेष्ठि होते है |इन गयारह अंगो में दृष्टि प्रवाद अंग को मिलाने पर जिनवाणी के बारह अंग होते है |

उत्पाद पूर्व,
अग्रायणि पूर्व,
वीर्यानुवाद पूर्व ,
अस्तिनस्तित्प्रवाद पूर्व,
ज्ञानप्रवाद पूर्व,
सत्प्रवाद पूर्व,
आत्मप्रवाद पूर्व,
कर्मप्रवाद पूर्व,
प्रत्याख्यानप्रवाद पूर्व,
विधानुवाद पूर्व,
कल्याणवाद पूर्व,
प्राणानुवाद पूर्व,
क्रियाविशाल पूर्व
और लोकबिन्दुसार पूर्व
ये १४ पूर्व है |
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