11-24-2024, 09:11 AM
भवन स्वीकृति और प्रमाण पत्रों में फर्जीवाड़ा:
शहरी नियोजन क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता
हाल ही में भवन नक्शे स्वीकृत करने, कम्पलीशन सर्टिफिकेट (पूर्णता प्रमाण पत्र) और ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (अधिवास प्रमाण पत्र) जारी करने में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। जिन पंजीकृत आर्किटेक्ट्स को सरकार ने नियमों का पालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी थी, उनमें से कुछ ने नियमों को ताक पर रख दिया, जिससे सिस्टम की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े हो गए हैं।
क्या हुआ है मामला?
राजस्थान के जयपुर और जोधपुर जैसे शहरों में वास्तु नियमों की अनदेखी के मामले सामने आए हैं। कुछ आर्किटेक्ट्स ने नियमों को तोड़कर भवन निर्माताओं को अनुचित लाभ पहुंचाया। प्रमुख मामले इस प्रकार हैं:
इस पूरे मामले ने क्रॉस-चेकिंग मैकेनिज्म की अनुपस्थिति को उजागर किया है। यह सुनिश्चित करने का कोई पुख्ता तरीका नहीं है कि पंजीकृत आर्किटेक्ट्स द्वारा स्वीकृत नक्शे वास्तु नियमों के अनुरूप हैं या नहीं।
कम्पलीशन सर्टिफिकेट और ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी करने की प्रक्रिया में भी खामियां पाई गईं:
78 पंजीकृत आर्किटेक्ट्स को भवन निर्माण प्रक्रिया में महत्वपूर्ण अधिकार दिए गए हैं:
सरकार का कदम और सुधार की दिशा
सरकार ने दोषी आर्किटेक्ट्स को डिबार कर कार्रवाई शुरू कर दी है। साथ ही, कानूनी कार्रवाई और नक्शों की पुनः जांच की प्रक्रिया पर विचार किया जा रहा है। यह घटनाक्रम सिस्टम में सुधार की आवश्यकता पर जोर देता है:
यह घटना वास्तुकला और शहरी नियोजन क्षेत्र के लिए एक चेतावनी है। जहां आर्किटेक्ट्स को सुगम कार्यप्रणाली के लिए स्वायत्तता दी जाती है, वहीं इस अधिकार के साथ जवाबदेही सुनिश्चित करना भी जरूरी है।
सरकार, आर्किटेक्ट्स और उद्योग के अन्य हितधारकों को मिलकर पारदर्शिता, नैतिकता और सख्त नियमों को प्राथमिकता देनी होगी। यह कदम न केवल सिस्टम में विश्वास बहाल करेगा बल्कि समाज को सुरक्षित और नियमों के अनुरूप भवन उपलब्ध कराने में भी मदद करेगा।
शहरी नियोजन क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता
हाल ही में भवन नक्शे स्वीकृत करने, कम्पलीशन सर्टिफिकेट (पूर्णता प्रमाण पत्र) और ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (अधिवास प्रमाण पत्र) जारी करने में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। जिन पंजीकृत आर्किटेक्ट्स को सरकार ने नियमों का पालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी थी, उनमें से कुछ ने नियमों को ताक पर रख दिया, जिससे सिस्टम की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े हो गए हैं।
क्या हुआ है मामला?
राजस्थान के जयपुर और जोधपुर जैसे शहरों में वास्तु नियमों की अनदेखी के मामले सामने आए हैं। कुछ आर्किटेक्ट्स ने नियमों को तोड़कर भवन निर्माताओं को अनुचित लाभ पहुंचाया। प्रमुख मामले इस प्रकार हैं:
- सड़क चौड़ाई का गलत उपयोग: जयपुर के मानसरोवर और मालवीय नगर में 40 फीट चौड़ी सड़क पर बनी इमारतों को 60 फीट चौड़ी सड़क के लाभ दे दिए गए।
- डिजाइन में हेरफेर: जयपुर के सिरसी रोड पर एक इमारत की स्वीकृत टाइप डिजाइन में बदलाव कर दिया गया।
- अधूरी इमारत को प्रमाण पत्र: जोधपुर में एक इमारत को कम्पलीशन सर्टिफिकेट दे दिया गया, जबकि निर्माण न तो पूरा हुआ था और न ही स्वीकृत नक्शे के अनुरूप था।
इस पूरे मामले ने क्रॉस-चेकिंग मैकेनिज्म की अनुपस्थिति को उजागर किया है। यह सुनिश्चित करने का कोई पुख्ता तरीका नहीं है कि पंजीकृत आर्किटेक्ट्स द्वारा स्वीकृत नक्शे वास्तु नियमों के अनुरूप हैं या नहीं।
कम्पलीशन सर्टिफिकेट और ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी करने की प्रक्रिया में भी खामियां पाई गईं:
- कम्पलीशन सर्टिफिकेट: यह प्रमाणित करता है कि इमारत स्वीकृत नक्शे के अनुरूप बनी है, हालांकि इसमें कुछ छोटे अधूरे कार्यों की छूट दी जाती है।
- ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट: इसे तभी जारी किया जाता है जब इमारत में सभी आवश्यक सेवाएं और सुरक्षा उपाय पूरे हो चुके हों। इसके बिना इमारत में रहना नियमों के खिलाफ है।
78 पंजीकृत आर्किटेक्ट्स को भवन निर्माण प्रक्रिया में महत्वपूर्ण अधिकार दिए गए हैं:
- 2,500 वर्ग मीटर तक के भूखंडों पर भवन नक्शा स्वीकृत करना और 18 मीटर तक की ऊंचाई वाले निर्माण को मंजूरी देना।
- कम्पलीशन और ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी करना, जिसके लिए क्षेत्रफल और ऊंचाई की कोई सीमा नहीं है।
सरकार का कदम और सुधार की दिशा
सरकार ने दोषी आर्किटेक्ट्स को डिबार कर कार्रवाई शुरू कर दी है। साथ ही, कानूनी कार्रवाई और नक्शों की पुनः जांच की प्रक्रिया पर विचार किया जा रहा है। यह घटनाक्रम सिस्टम में सुधार की आवश्यकता पर जोर देता है:
- क्रॉस-वेरिफिकेशन मैकेनिज्म: स्वीकृत नक्शों की थर्ड-पार्टी जांच सुनिश्चित करना।
- पारदर्शी प्रक्रियाएं: स्वीकृतियों और प्रमाण पत्रों को डिजिटाइज कर उनकी रीयल-टाइम मॉनिटरिंग करना।
- सख्त दंड: नियमों का उल्लंघन करने वाले आर्किटेक्ट्स और बिल्डर्स पर कठोर दंड लगाना।
- जागरूकता अभियान: बिल्डर्स और संपत्ति खरीदने वालों को नियमों और उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित करना।
यह घटना वास्तुकला और शहरी नियोजन क्षेत्र के लिए एक चेतावनी है। जहां आर्किटेक्ट्स को सुगम कार्यप्रणाली के लिए स्वायत्तता दी जाती है, वहीं इस अधिकार के साथ जवाबदेही सुनिश्चित करना भी जरूरी है।
सरकार, आर्किटेक्ट्स और उद्योग के अन्य हितधारकों को मिलकर पारदर्शिता, नैतिकता और सख्त नियमों को प्राथमिकता देनी होगी। यह कदम न केवल सिस्टम में विश्वास बहाल करेगा बल्कि समाज को सुरक्षित और नियमों के अनुरूप भवन उपलब्ध कराने में भी मदद करेगा।