पंचास्तिकाय
#1

हमने छह द्रवोंका अध्ययन किया उसमेसे पांच द्रवोंको अस्तिकाय कहते है !

 
यह पांच द्रव्य अस्तिकाय है - याने उनमे अस्तित्व और कायत्व है !
 
अपने - अपने गुणपर्यायोंसे संयुक्त सभी द्रव्य अस्तिरूप है उनमेसे पांच द्रव्योंको
 
ही अस्तिकाय ( कायवान ) कहा है क्योंकि वह बहु प्रदेशी है !
 
( प्रदेश - एक परमाणु जितने आकाश को रोकता है उसे प्रदेश कहते है )
 
इसलिए एन पांच द्रव्योंको अस्तिकाय कहा है !
 
ये पांच अस्तिकाय द्रव्य है - जीव , पुद्गल , धर्म , अधर्म और आकाश !
 
अभी थोडा विस्तार से -
 
# द्रव्यओंके सामान्य गुण में अस्तित्व यह गुण है !
 
जिस शक्ति के कारण द्रव्य कायम है और उसका कभी नाश नहीं होता उसे
 
अस्तित्वगुण कहा है !
 
अस्तित्व वास्तविक द्रवोंका स्वभाव है ! क्योंकि वह परनिरपेक्ष है ! अनादी अनंत है
 
द्रव्य और गुणों में भाववान और भाव की अपेक्षा भेद है !
 
अस्तित्व(गुण ) भाव है और द्रव्य भाववान है ! तथापि द्रव्य और अस्तित्व के प्रदेश
 
जुदे - जूदे नहीं है ! अतः अस्तित्व का द्रव्य के साथ एकत्व है ! इसलिए उसे द्रव्य
 
का स्वभाव माना गया है !
 
एक द्रव्य का अस्तित्व उसीमे समाप्त होता है !
 
जो एक द्रव्य में अस्तित्व है वही दुसरे द्रव्य में नहीं है !
 
>> द्रव्य और गुण का अस्तित्व एक ही है !
 
ऐसेही उत्पाद ,व्यय , ध्रौव्य और द्रव्य का अस्तित्व भी एक है !
 
>> सारांश में - सभी छह द्रव्य अस्ति है !
 
# अभी इन छह द्रव्योंमेसे कायरूप पांच द्रव्य है ! काय याने शरीर के तरह जो हो
 
जैसे शरीर पुद्गल परमाणुओंका का समूह है वैसे जीव , पुद्गल , धर्म , अधर्म और
 
आकाश यह बहुप्रदेशी होते है इसलिए उन्हें कायवान कहा है !
 
# अस्ति और काय मिलाकर उन्हें अस्तिकाय कहते है !
 
अभी छटा द्रव्य काल अस्ति तो है पर वह कायवान नहीं है ! कालाणु एक प्रदेशी है
 
और सदा अलग अलग रहते है !
 
जीव , धर्म और अधर्म असंख्यात परदेशी है !
 
धर्म और अधर्म लोकव्यापी है इसलिए असंख्यात प्रदेशी है !
 
एक जीव भी लोकाकाश के बराबर होनेसे असंख्यात प्रदेशी है !
 
आकाश सर्वत्र व्यापी है इसलिए वह अनंताअनंत प्रदेशी है !
 
पुद्गल परमाणु एक प्रदेशी है किन्तु उसका पर्याय स्कंध दो या अधिक( संख्यात ,
 
असंख्यात , अनंताअनंत) परमाणुओंसे बनता है इसलिए वह संख्यात या असंख्यात
 
या अनंताअनंत प्रदेशी है !
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